होली में हरे पेड़ बचाने के लिए और शहर के पर्यावरण को साफ करने के होलिका दहन में रायपुर में इको-फ्रैंडली तरीके से अधिकांश क्षेत्रों में पारिस्थितिक का आयोजन किया जा रहा है।
गौ-काष्ठ-कंडे खरीदने जा रहे व्यक्ति
रायपुर में इको-फ्रैंडली होलिका का आयोजन पहली बार हो रहा है और लोग उन्हें गौ-काष्ठ और कंडे खरीद रहे हैं. लेकिन अब लोग खुद ही वहाँ पार गौ-काष्ठ लेने के लिए पहुंच रहे हैं.
लकड़ियों से आधी कीमत पर मिल रहे गौ-काष्ठ और कंडे
लकड़ियों से आधी कीमत पर गौ-काष्ठ और कंडे होलिका दहन के लिए उपलब्ध हो रहे हैं. साथी ही गौ-काष्ठ और कंडे की राख का उपयोग खाद के तौर पर किया जा रहा है.
हरे-भरे पेड़ों को बचाने की कवायद
हरे-भरे पेड़ों को बचाने के लिए ये पूरी कवायद की गई है और जनता से भी अच्छा रिस्पॉस मिल रहा है. उन्होंने आगे कहा कि सभी जोन कमिश्नरों को निर्देश दिया गया है कि हर जोन में ज्यादा से ज्यादा जगहों में गौ-काष्ठ और कंडों से बनी होली जलायी जाए.बता दें कि इको-फ्रैंडली होलिका दहन वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में फायदेमंद है. साथ ही होलिका दहन के बाद राख का उपयोग घरों में फर्टिलाइजर के रूप में भी हो सकेगा. इस वजह से रायपुर में इको-फ्रैंडली होलिका दहन लोगों के लिए बेहद खास है।
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